कालीसिंध नदी के किनारे झालावाड़ से करीब 10 किमी दूर मुकंदरा पर्वत में एक ऊंची चट्टान पर सदियों से प्राकृतिक गणेश प्रतिमा का निर्माण किया गया है। बलिंडा घाट में एक चट्टान पर लगभग 30 फीट ऊंची खड़ी मूर्ति को देखने के लिए दो पहाड़ियों के बीच बनी एक अगम्य सड़क को पार करना पड़ता है। यहां की राह बिल्कुल भी आसान नहीं है। यहां ज्ञानी लोग ही पहुंच सकते हैं।
भास्कर की टीम यहां पहुंची, जहां 45 फीट ऊंचे पहाड़ पर करीब 30 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा है। प्राकृतिक नरकट से बनी इस प्रतिमा के आसपास के लोग इसे प्रकट गणेश के रूप में पहचानते हैं। इस स्थान को प्राचीन काल से माना जाता रहा है। लोग उन्हें बलिंडा घाट के गणेशजी कहते हैं। उनका कहना है कि यह मूर्ति बनाई नहीं गई थी, बल्कि यह स्वयं प्रकट हुई है।
खास बात यह है कि विनायक को शादी का पहला निमंत्रण मालवा और हाड़ौती के लोग देने आते हैं। पांच खंडों वाली इस मूर्ति में कान, सिर, माथा और सूंड हैं। जलदुर्ग गगरोन के ठीक पीछे मुकंदरा श्रेणी की दो श्रेणियों के बीच कालीसिंध नदी है। बलिंडा घाट यहां से करीब 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।